20 दिन का तेंदुए का शावक मिला, वन विभाग की टीम ने इंदौर के चिड़ियाघर छोड़ा

धार जिले के बाग वन परिक्षेत्र के करगदा में एक गुफा वाले क्षेत्र के गेहूं के खेत में 20 दिन का तेंदुए का शावक मिला। यह मादा तेंदुआ है। ग्रामीणों ने जब देखा तो वनरक्षक को बताया। वनरक्षक ने वन परिक्षेत्र अधिकारी बाग संतोष चौहान को जानकारी दी। वे उस शावक को खेत से उठाकर वन परिक्षेत्र लाए, जहां उसे बाेतल से दूध पिलाया गया। कुछ देर गुफा वाले क्षेत्र में इस शावक की मां को तलाशा पर वह नहीं मिली। यह शावक रविवार काे बाग रेंज की पाडल्या बीट के कक्ष 18 के पास मिला, जिसे प्राथमिक जांच के बाद एसडीओ सरदारपुर/धार राकेश कुमार डामोर के निर्देशन में बाग रेंजर संतोष चौहान ने इंदौर चिड़ियाघर भेजा। एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चे की तलाश में मां हमला कर सकती है। ग्रामीण सतर्कता बरतें।


3 महीने तक देखभाल की जरूरत-एसडीओ
वन विभाग के अधिकारी एसडीओ धार राकेश डामोर ने बताया कि शावक 20 दिन का है। इसकी मां नहीं मिल रही है, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इसे इंदौर चिड़ियाघर में रखेंगे। हमारी टीम के रेंजर और वन कर्मी इसे लेकर इंदौर पहुंचे हैं। 2 से 3 महीने तक बच्चों को पूरी केयर से रखा जाता है। धार जिले में पहली बार मादा तेंदुए शावक देखा है। विभाग का कहना है कि यह इसकी मां से बिछड़ गया है।


वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने दी टाइगर के बारे में खास जानकारी
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट आरसी चौबे ने बताया कि कभी-कभी मादा टाइगर और मादा तेंदुआ के बच्चे बिछड़ते हैं तो कभी-कभी वह याद आने के बाद इन्हें यह ढूंढती हैं और उग्र रूप ले लेती हैं। उस स्थिति में वापस बच्चे छोड़ना पड़ते हैं। उसी क्षेत्र में एक स्थिति ऐसी होती है जब दो-तीन या चार बच्चों में एक भी इधर-उधर हो जाता है तो यह कम ध्यान देती है। उसी में इन्हें चिड़ियाघर मिलने के बाद भेजा जाता है, ताकि इनकी देखरेख हो जाए। 2 से 3 महीने इन पर विशेष ध्यान देना पड़ता है जब तक यह शिकार नहीं करना सीख लेते हैं। उसकी स्थिति में इन्हें बच्चों की तरह ऑब्जरवेशन में रखकर इनकी पूरी देखरेख टाइम-टाइम से की जाती है।